Wednesday, April 8, 2015

31 . ज़िंदगी – एक नज़रिया


अँधेरा नकारा पक्ष नहीं है रोशनी का वो तो सिर्फ ये बताता है कि यहाँ रोशनी नहीं है इसी तरह समस्या ये बताती है कि वर्तमान में आपके पास ऐसा विचार नहीं है जो तथाकथित समस्या का समाधान दे सके . समस्या कभी ये नहीं कहती कि मेरा समाधान नहीं है बल्कि ये तो आप स्वयं है जो किसी तटस्थ परिस्थिति को समस्या का नाम देते है .
हो सकता है किसी अन्य के लिए आपकी समस्या कोई समस्या ही नहीं हो ठीक वैसे ही जैसे आपका अँधेरा उल्लू के लिए अँधेरा नहीं होता - उस बेचारे की तो रोशनी से आँखे चुंधिया जाती है यानि आपका अँधेरा किसी के लिए सुकून हो सकता है और किसी की रोशनी आपके लिए दर्दनाक अनुभव - ठीक उसी उल्लू की तरह .
ज़िन्दगी कभी भी किसी की भी सीधी और सपाट नहीं होती फिर वो चाहे कोई भी क्यों न हो , हर एक को अपने हिस्से की गलतियाँ ,असफलता , अपमान , हताशा और अस्वीकार्यता झेलनी ही पड़ती है - कोई भी इस दौर से बच नहीं सकता . वो आप ही है जो इसे आसान बनाते है या मुश्किल , वो आप ही है जो इन मुश्किलों से गुजरकर निखरते है या बिखरते है , वो आप ही है जो खड़े होकर हर उलटे-सीधे वार को झेलते है और विजयी बन कर निकलते है या पीठ दिखा कर तहस -नहस हो जाते है , वो आप ही है जो अब तक ज़िंदा है - सारी परेशानियों के बावजूद - यानि आपने अपने हिस्से की अब तक की सारी मुसीबतें झेल ली है और आप जानते है कि वो मुसीबतें छोटी नहीं थी फिर भी आप ज़िंदा है . यकीन मानिये आपके ज़िंदा होने में किसी और से ज्यादा आपकी जिजीविषा का हाथ है,आपके सुदृढ़ विचारों का हाथ है जो अँधेरे में रोशनी की तलाश भर है ,फिर वो चाहे अँधेरी ऊंघती सुरंग के पार के दूसरे सिरे पर मौजूद रोशनी का एहसास ही क्यों न हो या विचारों में दादी- अम्मा से सुनी हुई वर्षों पुरानी कहानियों में हर विकट परिस्थिति का सफलतापूर्वक सामना करने का कौशल - अँधेरे पलों में जलती हुई टोर्च .
जिन्हे आप समस्याएं मानते है दरअसल वो आपकी दिमागी खुराफात के अलावा कुछ नहीं है. आइये एक अलग तरीके से सोचे , जिसे आप समस्या कहते है उसे चुनौती कहकर देखे - आपका सोचने का, समझने का और खेलने का नजरिया बदल जायेगा और फिर चुनौती का सामना करना , एक लक्ष्य को पूरा करना टास्क बन जाता है जबकि समस्या आपके हाथ-पैर फुला देती है इसी तरह अँधेरे को समस्या के तरीके से देखने पर हताशा होती है जबकि अँधेरे को चुनौती के तौर पर देखने पर दीपक याद आता है , मोमबत्ती याद आती है, लालटेन याद आती है , बिजली याद आती है ,आग याद आती है और बंद अँधेरी गुफा में दो पत्थरों की तलाश की जाती है - चकमक पत्थर की .
ज़िन्दगी आसान नहीं है लेकिन मुश्किल भी नहीं है , परिस्थिति आसान नहीं है लेकिन समस्या भी नहीं है - वो आप है और आपके सोचने का तरीका जो चीज़ों को आसान बनाता है या मुश्किल , बदलाव अंदर से शुरू होता है -जड़ों से ,तभी तो बाहर अच्छे फल आते है - आइये अच्छे फल पाने के लिए अंदर से बदले ,हमारे सोचने के तरीके को बदले !!!
सुबोध -फरबरी १, २०१५

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